फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मंगलवार को सेबास्टियन लेकोर्नू को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। यह नियुक्ति न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मैक्रों के प्रशासन की दिशा को भी स्पष्ट करती है। लेकोर्नू, जो पहले दक्षिणपंथी राजनीति से जुड़े रहे हैं, ने 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में मैक्रों का समर्थन किया था। इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि मैक्रों वामपंथ की ओर नहीं बढ़ रहे हैं, जैसा कि कुछ विश्लेषकों ने अनुमान लगाया था।
लेकोर्नू की नियुक्ति का महत्व
39 वर्षीय लेकोर्नू की नियुक्ति यह दर्शाती है कि मैक्रों अपने प्रो-बिजनेस सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, भले ही उनकी सरकार अल्पमत में हो। इस एजेंडे में अमीरों और व्यवसायों पर करों में कटौती, साथ ही रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय शामिल हैं। यह कदम फ्रांस की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक समझा जा रहा है, जो पिछले कुछ वर्षों में कई चुनौतियों का सामना कर चुकी है।
फ्रांस्वा बायरू का कार्यकाल और उसकी चुनौतियाँ
सेबास्टियन लेकोर्नू फ्रांस्वा बायरू की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल एक साल से भी कम समय में समाप्त हो गया। बायरू को संसद में 2026 के बजट प्रस्ताव पर विश्वास मत हारने के बाद पद छोड़ना पड़ा। यह स्थिति फ्रांस की नाजुक वित्तीय स्थिति को उजागर करती है, जहां पिछले वर्ष का घाटा जीडीपी का 5.8 प्रतिशत रहा, जो यूरोपीय संघ की निर्धारित 3 प्रतिशत सीमा से लगभग दोगुना है। इसके अलावा, राष्ट्रीय कर्ज 3.3 ट्रिलियन यूरो से ऊपर पहुंच गया है, जो जीडीपी का लगभग 114 प्रतिशत है।
सेबास्टियन लेकोर्नू: एक परिचय
सेबास्टियन लेकोर्नू फ्रांस के सबसे कम उम्र के रक्षा मंत्री रहे हैं। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद 2030 तक की बड़ी सैन्य विस्तार योजना को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मैक्रों के करीबी सहयोगी के रूप में, लेकोर्नू ने 2017 में राष्ट्रपति की मध्यमार्गी राजनीतिक धारा को अपनाया। उनके पास स्थानीय प्रशासन और ओवरसीज टेरिटरीज में जिम्मेदारियों का अनुभव है।
लेकोर्नू ने ‘येलो वेस्ट’ आंदोलन के दौरान मैक्रों की ‘ग्रेट डिबेट’ पहल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे जनता के गुस्से को संवाद की ओर मोड़ने में मदद मिली। 2021 में, उन्होंने ग्वाडेलूप में अशांति के बीच स्वायत्तता पर बातचीत की थी, जो उनकी राजनीतिक कुशलता को दर्शाता है।
स्थिरता की ओर बढ़ता फ्रांस
लेकोर्नू की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति यह संकेत देती है कि मैक्रों अपने वफादार सहयोगियों को प्राथमिकता दे रहे हैं। हाल के बजट विवादों के कारण लगातार प्रधानमंत्री बदलने से उत्पन्न अस्थिरता के बाद, अब स्थिरता की ओर बढ़ने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। यह कदम न केवल राजनीतिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह फ्रांस की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए भी आवश्यक है।
भविष्य की चुनौतियाँ
हालांकि लेकोर्नू की नियुक्ति को एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। फ्रांस की आर्थिक स्थिति, बढ़ती महंगाई, और सामाजिक असंतोष जैसे मुद्दे उनके सामने हैं। इसके अलावा, यूरोपीय संघ के भीतर फ्रांस की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय संबंध भी महत्वपूर्ण होंगे।
लेकोर्नू को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे मैक्रों के सुधार एजेंडे को सफलतापूर्वक लागू कर सकें, जबकि जनता की चिंताओं को भी ध्यान में रखें। यह संतुलन बनाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी, लेकिन उनके अनुभव और राजनीतिक कुशलता इस दिशा में मदद कर सकती है।
निष्कर्ष
सेबास्टियन लेकोर्नू की प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्ति फ्रांस की राजनीतिक और आर्थिक दिशा को प्रभावित करने वाली एक महत्वपूर्ण घटना है। यह न केवल मैक्रों के प्रशासन की स्थिरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि वे अपने प्रो-बिजनेस सुधार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उनके अनुभव और राजनीतिक समझ उन्हें इस दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकती है।